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| Photo: शायर बाबर |
लौट आऊँगा मैं तुम मेरा इंतज़ार करना
मेरी यादों में न तुम ज़िंदगी गुज़ार करना
कोई परदेसी सुनाए हाल मेरा
उनकी बातों पर न ऐतबार करना
कोई रिश्ता आ जाए अगर शादी का
तुम उस रिश्ते से भी इनकार करना
मसला अगर निकाह का हो सामने
तुम क़बूलियत का न इज़हार करना
तुम्हारी सखी सहेलि पूछे मेरे बारे में
तुम मुझे अजनबियों में शुमार करना
लाखों में मेरी पसंदीदा तुम हो
मेरी पसंद को न तुम बेकार करना
मेरे नाम से ताने देंगे तुमको ज़माने वाले
उनकी बातों का न कोई मलाल करना
अगर तुम्हें कभी मेरी याद आए
आँखें बंद करके मेरा दीदार करना
लौट आऊँगा मैं, मेरा इंतज़ार करना ।
लेखक – शायर बाबर
दरभंगा , बिहार
